Wednesday, July 20, 2016

तेवरी में पूर्ण स्वदेशी भावना + गौरीशंकर वैश्य ‘ विनम्र ’

तेवरी में पूर्ण स्वदेशी भावना

||ग़ज़ल आइलुन फाइलुन में लिप्त आयातित विधा ||

+ गौरीशंकर वैश्य ‘ विनम्र ’
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उ.प्र. हिंदी संस्थान के पुस्तकालय में तेवरीपक्ष के ताजा अंक का अवलोकन कर आश्चर्य हुआ कि 32 वर्षों से प्रकाशित पत्रिका को तेवरी नाम की सार्थकता सिद्ध करने का दुसाध्य प्रयास करना पड़ रहा है | मेरी यह धारणा इसलिए बलवती हुई क्योकि “ तेवरी इसलिए तेवरी है “ मंच से पूरे 14 पृष्ठ में आत्ममंथन प्रस्तुत किया गया है | जब परिवार के शिशु का नामकरण कर देते हैं तब बाद में उसमें मीनमेख क्या निकालना | बल्कि किसी अन्य से तुलना न कर उसे पूर्ण और सक्षम बनाना ही उचित होगा | ग़ज़ल आइलुन फाइलुन में लिप्त आयातित विधा है , तेवरी पूर्ण स्वदेशी भावना से परिपुष्ट विचारभिव्यति `|